Tuesday, January 26, 2010

साथ छोड़ गए प्रभाष जी


पत्रकारिता के युगपुरुष को नमन

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उनके राम और अपने राम - प्रेम सिंह

(यह लेख करीब 25 साल पहले का है। 'जनसत्ता' में छपा था. 'कट्टरता जीतेगी या उदारता' (राजकमल प्रकाशन, 2004) पुस्तक में भी संकल...