Wednesday, February 4, 2009

ईमानदारी की मिशाल


इस फोटो को देखकर कौन यकीन करेगा कि कभी पटना की राजनीतिक गलिया इस आदमी की ईमानदारी की मिसाल दिया करती होगी ,,,लेकिन मेरी राय मानिए तो आप ईमानदारी की जगह मेरे दादाजी (जयप्रकाश मिश्र) का नाम लिख सकते हैं ,,,, कभी आईंसटिन ने महात्मा गांधी की फोटो देखकर कहा था कि आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात पर यकीन करे कि इस प्रकार का मानव धरती पर चला होगा ,,,लेकिन मैं कहता हूं कि आज भी इनकी ईमानदारी से लोग डरते हैं ,,,,,, राजेश कुमार

2 comments:

BALAM PARDESIYA said...

हर कोई गुजरता था बहुत बच के उधर से
आइना लिए रह में एक शख्स खडा था !


एक जन्म कम है यहाँ से प्रेरणा लेने के लिए.....

RAJESH KUMAR said...

ye tarze shukhan yun hi nahi aaya hai
panv dhoye hai buzurgo ke to fan aaya hai

भोगवाद के बाजार में गरीबी का कारोबार- प्रेम सिंह

पूंजीवादी उपभोक्तावाद/उपभोगवाद पद में अर्थ-संकोच है। आधुनिक पूंजीवादी सभ्यता के मूल में निहित जीवन-दृष्टि की सही अभिव्यक्ति पूंजीवादी भोगवा...