भेड़िये अब धम्मम शरणं गच्छामी का जाप करते हुए,
नगर के प्रवेश द्वार तक आ पहुंचे हैं।
अनुरोध के अनुसार पहला समागम,
मेमनों के मुहल्ले में होगा।
अरे नहीं डर कैसा,
देखते नहीं उनका पवित्र पीताम्बर।
शुभ्र यज्ञोपवित्र हवा की बेलौस चाल में ,
पताका सी फहराती रामनामी।
अमन का राग गाती स्निग्ध वाणी,
कैसा दिव्य आलोक है मुख मंडल पर।
औह कैसा तेजोमय रूप है,
धन्य भाग धन्य भाग।
-प्रियंकर पालीवाल
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